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क्या करूँ?
गीगोमनी अलग-अलग भावनाएँ।।
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नृस्लंस आंखें।
इफ़ील कुछ भी करने में असहाय है।
ऐसा लगता है मानो वह अकेले अपनी आँखों से मेरा गला घोंट रहा हो।।।
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(कमी
यह स्टेक सोटेंडर है
खाओ!
मुझे यकीन है कि उसे चोट लग रही होगी।।
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रुस्लान!
इंतज़ार!
रुस्लान!!
मेरी माँ की बहुत यादें नहीं हैं।
न तो मेरे पूर्व जीवन में...
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...न ही इस एक में
लेकिन क्योंकि मेरे वर्तमान पिता ने मुझ पर हर तरह का स्नेह बरसाया जो मैंने पहले कभी अनुभव नहीं किया था
मैंने वास्तव में अपनी माँ की अनुपस्थिति का प्रभाव कभी महसूस नहीं किया।।
मैंने खुद को गर्मी के एक संक्षिप्त क्षण में बहकने दिया।।।