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उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन से मुझे क्या याद है।।।
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जब माँ मुझे ले जा रही थी तो मैं अपनी आँखें मलते-मलते कितना थक गया था।।।
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किसी अनजान ड्राइंग रूम को
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चरचराहट
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एक बार मैंने उनींदापन से अपनी आँखें खोल ली थीं
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मैं बहते चांदी के बालों और आत्माहीन लाल आँखों से सामना कर रहा था,
किसी ऐसे व्यक्ति ने, जिसकी उपस्थिति ही कमरे पर कब्ज़ा कर लिया
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